यह सम्मान नहीं खिलाड़ियों के मुंह बंद रखने का इनाम है

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यह सम्मान नहीं खिलाड़ियों के मुंह बंद रखने का इनाम है

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हमारे देश में चल रहे न्यायप्रिय व शांतिपूर्ण किसान आंदोलन के समर्थन में  वाजिब ही पंजाब के बहादुर खिलाड़ियों द्वारा बुलंद आवाज से अपने खेल- अवार्ड वापस करने की घोषणा की गई. हरियाणा में  भी इसकी धमक तो देर सवेर पहूंचनी ही थी.बिजेंद्र बाक्सर व असन सिहं सांगवान द्वारा अवार्ड वापसी की धमकी के बाद जाहिर तौर पर हरियाणा सरकार घबरा गई है .अतः उसने आनन-फानन में बिना खिलाड़ियों से किसी प्रकार की सलाह के अतार्किक सी सम्मान -पेंशन की घोषणा कर दी है .यद्यपि यह सम्मान  पैंशन खिलाड़ियों की लंबे समय से मांग रही है .क्योंकि उनकी खुराक व स्वास्थ्य संबंधी जरूरतें भी बढी हुई होती हैं तथा उन्हें अनेक तरह के खेल ईवैन्टस में प्रोत्साहन कर्ता की तरह से भी उपस्थित रहना होता है.इस से पूर्व की हुड्डा सरकार ने भी कुछ शुरू आती घोषणाएं की थी.परंतु जिस प्रकार से हरियाणा सरकार ने कल सुशासन दिवस पर यह घोषणा कि वह संदेह के दायरे से परे नहीं कही जा सकती .इसमें बड़ी तोप का मुंह बंद रखने का बड़ा इनाम व छोटी का छोटा इनाम की तरकीब से भी काम लिया गया है .वरना हरियाणा सरकार को तो अपने  अवार्डीयों के लिए ज्यादा पेंशन प्रावधान रखना चाहिए बजाय राष्ट्रीय इनाम धारकों के जो पहले से ही बड़ी-बड़ी राष्ट्रीय पेंशन ले रहे हैं . कौन नहीं जानता कि इस स्तर के खिलाड़ियों की उपलब्धियां लगभग बराबर सी ही होती हैं .सम्मान पेंशन घोषणा के इस खास समय चुनाव को देखते हुए इसे व्यापक तौर पर सम्मान नहीं बल्कि  न्याय के हक में ना बोलने व खड़ा होने की रिश्वत की तरह से ही देखा जाएगा .अतः हरियाणा के खिलाड़ियों को इस ऑफर को अभी स्वीकार करने से सामूहिक रुप से इंकार करके अपनी विवेकशीलता व न्यायप्रियता के माद्दे का परिचय देना चाहिए .क्योंकि हम खिलाड़ी यह कैसे भूल सकते हैं कि इन मैडलों व ईनामों का रास्ता उन्हीं खेत खलिहान से होकर गुजरता है जिनके बचाव के लिए आज हमारे देश के किसान -मजदूर सिर धड़ की बाजी लगाकर लड़ रहे हैं.मोर्चे पर डटे इन सिपाहियों के लिए हमारी सलामी व समर्थन पेश करने का हमारी तरफ से यही उपयुक्त तरीका हो सकता है.

Publisher

Trolley Times

Date

2020-12-31

Contributor

जगमति सांगवान

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