किसान आंदोलन का राष्ट्रव्या पी स्वरूप!

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किसान आंदोलन का राष्ट्रव्या पी स्वरूप!

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सिंघू बॉर्डर पर मौजूद किसान आंदोलन में हिस्सा ले रहे बुज़ुर्ग लोगों के लिए खालसा ऐड ने बड़ी गिनती में फुट मसाजर इनस्टॉ ल किये, यह खबर आप में से कई लोगों ने पढ़ी होगी या सुनी होगी। जहां इस तरह की खबरें हमारे प्रोट ेस्ट के स्के ल के बारे में हमें बताती हैं, वहीँ इस आंदोलन में ऐसी भी छोटी छोटी खबरें हैं जो नेशनल मीडि या की नज़ रो में नहीं आती, मगर इस आंदोलन को और आर् गेनिक बना देती हैं। जि समें से एक छोटी सी कह ानी है मुस्लिम भाई सुख्खा की, उर्फ़ मोहम्मद इरशाद। इरशाद पटियाला में अपनी एक छोटी से हेयर ड्रेसर की दुकान चलाते हैं। पि छले दि नों सिंघु बारडर पर घूमते समय अचानक मेरी नज़ र एक ट्रा ली पर टंगे पोस्ट र पर गयी जि स पर पंजाबी में लिखा था किसान आंदोलन की हिमायत में मुस्लिम भाई सुखखा उर्फ़ मद इरशाद हेयर ड्रेसर पटियाला की तरफ से सेवाहित में बुज़ुर् गो के शरीर की मालिश की जाती है - फोर्ड कंपनी के सामने। यह पोस्ट र देखकर मैं एकदम रुकी। ट्रा ली के सामने छोटे से स्टूल पर अपना काले रंग का बैग रखे और नीचे एक दरी बि छाये हुए पास में इरशाद भाई खड़े थे। जब मैंने उनसे जाकर बात किया तब उन्हों ने बताया कि उनको तीन दि न हो गए आये हुए। जब उनसे पूछा गया कि वो तो हेयर ड्रेसर हैं तो फि र यहां पर वो मालिश क्यों करना चाहते हैं। लोगो की तो उन्हों ने कह ा कि मैं बस सेवा में अपना हिस्सा डालना चाहता हूं। बेशक पेशे के तौर पर मैं एक हेयर ड्रेसर हूं लेकिन यहां क्यूं कि सिख भाई बड़ी तादाद में है तो मैं हेयर ड्रेसर का काम नहीं करना चाहता। सिख लोग बाल काटने को बुरा मानते हैं। मैं आंदोलन में शामि ल बुज़ुर् गो की, जो कई दि नों से घर का आराम छोड़ कर यहां ट्रा लियों में सो रहे हैं, मालिश कर के अपना योगदान डालना चाहता हूं। इरशाद भाई ने बताया कि वो तीन दि न और यहां रुकेंगे। जब उनसे पूछ गया कि मीडि या तो प्र चार कर रहा है कि यह सिर्फ पंजाब के किसानों का आंदोलन है तो आप यहां क्या कर रहे हैं, जबकि किसानी आपका पेशा तो नहीं है। उन्हों ने कह ा कि यह किसान भाई हमारी वजह से ही आज यहां पर हैं। ये सिर्फ किसान भाइयो का मुद्दा नहीं है। अगर कल को फसल प्रा इवेट कम्पनि या खरीदेंगी तो हमारे लिए भी महंगाई बढ़ जाएगी। इस वजह से यह हमारा ही मुद्दा है और आज जब किसान भाई आगे होकर लड़ रहे हैं तो हमारी भी ज़िम्मे दारी बनती है कि हम अपना योगदान डाले, मैं बस वही योगदान डालने के लिए आया हूं। बस मुझे सेवा करनी थी और वही सेवा मैं आज यहां कर रहा हूं।

दोस्तों ऐसी कई कह ानि यां इस आंदोलन के कोने कोने में छि पी हैं और यही इस आंदोलन की खूबसूरती है।

Publisher

Trolley Times

Date

2020-12-25

Contributor

नवकिरन नत्त

Coverage

टिकरी मोरचा

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