आंदोलन

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आंदोलन

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हरियाणा के गाँव हाबरी का गुरुद्वा रा आ गया है। हमारा काफि ला कैथल से पानीपत होते हुए दि ल्ली की ओर जा रहा है और यहाँ लंगर के लिए रुके हैं।

पंजाब से हमने चीका वाले रासते से हरियाणा में प्र वेश किया और कैथल तक की 40 किमी की दूरी तय करने में हमारा पूरा दि न गुजर गया क्यों कि यहां तक ही हरियाणा पुलिस के साथ पाँच झड़ पें हो चुकी हैं। सभी जगह ों से भूखे पेट, बाधाओं को पार करते हुए हम साहस से लबरेज होकर आगे बढ़े हैं। हमारे काफ़ि ले के अधिक ांश लोगों ने केवल सुबह की चाय ही पी थी, लेकिन खाया कुछ भी नहीं था। यहाँ गुरुद्वा रा में रुकने वाली पहली ट्रॉ ली वालों ने गुरुद्वा रा के व्य वस्था पकों को बताया, “…कारवां दि ल्ली जा रहा है जी, लंगर खाना है...”। कुछ कुछ अंधेरा हो चुका है। समय ऐसा है कि गांव के लोग अपने घर में रात की रोटी का काम नि पटा कर सो चुके हैं। गुरुद्वा रे के स्पीक र से ग्रन् थि जी की आवाज़ गाँव में फैलती है, “वाहिगुरु - वाहिगुरू - वाहिगुरू! भाई एक कारवां अपने गाँव से गुजर रहा है। यह सरकार के काले कानूनों के खिलाफ दि ल्ली का सामना करने जा रहा है। हमें संगत के लिए लंगर की सेवा करनी है।

आइए हम सब माई भाई सेवा करें।” स्पीक र की आवाज़ बंद ही हुई है कि गाँव के लोग - नौजवान और औरतें गलियों से गुरुद्वा रा की ओर भागे आ रहे हैं। किसी के हाथ में अचार का पीपा है, किसी के हाथ में रोटियां हैं, किसी के पास दूध की बालटी है, किसी के डि ब्बे में गुँथा हुआ आटा है, किसी के पास घर की बनी दाल का कट ोरा है। सभी गुरुद्वा रों में इकट्ठा होते हैं, यहां गांव और कारवां के लोग पूरे जोश में हैं। भठ्ठी ओं में आग जलती है। चाय, रोटी और दाल के लंगर को चमत्का रिक तरीके से तैयार किया जा रहा है। पांच से सात मि नट में युवा दाल और प्र सादा (रोटी) बांट रहे हैं। लंगर के बाहर खड़ा एक सेवादार कह रहा है, “यह करतार सिंह झब्ब र का गाँव है, जि सने गुरुद्वा रों को महंतों से मुक्त कराया था, जि न्हों ने जनरल डायर की चापलूसी करने वाले गद्दा रों को धर्म और समुदाय से खदेड़ ने के लिए सम्मे लन आयोजि त कर प्र स्ता व पारित किए थे।

उन्हों ने ब् रिटिश सरकार के काले रौलट कानूनों के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्हें अंग्रेजों ने काले पानी की सजा सुनाई, कैद किया, लेकिन उन्हों ने हौसला नहीं हारा... बस जी, हमारा गाँव इतना सौभाग्यशाली है कि आज फि र से हमें उन लोगों के कंधे से कंधा मि लाकर खड़े रहने का अवसर मि ला है जो सरकार से टक्क र लेने जा रहे हैं। बस भरोसा रखो, हमारी जीत नि श्चित है।”

लोग ट्रैक्टर-ट्रॉ लियों पर बैठकर जयकारे लगा रहे हैं। काफि ले के आगे चल रहे ट्रैक्टर की लाइट दूर तक रोशनी बि खेरती है और लोग अंधेरे को चीरते हुए दि ल्ली की ओर बढ़ रहे हैं।

विरोधी कृषि क़ा नूनों के खिलाफ अपना आकार बढ़ ता

चंद्र पाल सिंह, ग़ा ज़ी पुर

कृषि क़ा नूनों के खिलाफ आरम्भ हुए किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए संघी पलटन द्वा रा चलाये जा रहे कुत्सित प्र चार का उत्तर प्र देश उत्तराखंड के किसानों ने गाजीपुर बॉर्डर पर मोर्चा खोलकर पानी फेर दि या। सिंधु बॉर्डर पर किसानों के पहुं चने के बाद से ही अपनी फि तरत के मुताबिक संघ भाजपा और उसका पालतू मीडि या आंदोलन को कभी खालिस्तानि यों, नक्सलियों यां केवल पंजाबि यों आदि का आंदोलन बता कर किसान आंदोलन को राष्ट्रवि रोधी आंदोलन घोषित करने का प्र यास कर रहा था।

सिंधु बॉर्डर पर धरना आरम्भ होने के बाद ही उत्तर प्र देश से गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के पहुँ चने का सिलसिला आरम्भ हो गया था।शुरुआत में मोदी सरकार की पुलिस ने किसानों को रोकने की कोशि श की। लाठीचार्ज , वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। परन्तु किसान पीछे नहीं हट े। हार कर पुलिस ने दि ल्ली बॉर्डर को बंद कर दि या और किसान वहीँ धरने पर बैठ गए। किसानों ने दि ल्ली जाने वाले हाइवे की दो सड़क ों को जाम कर सभाएं शुरू कर दीं।तब से लेकर इस आंदोलन में प्रतिदि न भाग लेने वाले किसानों की संख्या में इजाफा हो रहा है। अब धरना स्थ ल पर नि यमि त सभा का आयोजन किया जा रहा है। धरना स्था न पर भाकियू के राष्ट्री य प्र वक्ता राकेश टिकैत, किसान सभा के केंद्री य कमेटी सदस्य डीपी सिंह, तराई संगठन के जगतार सिंह बाजवा, तेजेन्द्र सिंह विर्कगवि्ड, उत्तर प्र देश किसान सभा के संयुक्त सचि व चन्द्रपाल सिंह आदि सहित विभि न्न संगठनों के नेता व गणमान्य नागरिक आंदोलनकारियों को संबोधि त करने व दि शा नि देशन का कार्य कर रहे हैं।

आंदोलन में भाग लेने के लिए अपनी ट्रैक्टर ट्रॉ ली लेकर आने वाले किसानों को उत्तर प्र देश व उत्तराखंड पुलिस प्र शासन जगह जगह रोकक र गिरफ्ता र कर रहा है।

Publisher

Trolley Times

Date

2020-12-25

Contributor

सुखजिदर महेसरी

Coverage

सिंघु मोरचा

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