<em>SherasiyaTahir</em> : रे मेघो, तुम कहा भटक गए हो ? व . . . .

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<em>SherasiyaTahir</em> : रे मेघो, तुम कहा भटक गए हो ? व . . . .

Description

रे मेघो, तुम कहा भटक गए हो ? वो खेत भी रूठे हे, नहर भी सूखे हे ? सूर्य का तेज हे चरम पर, अकाल का प्रकोप हे भयंकर। क्या शहरों की भीड़ में अटक गए हो ? फिर गरजो, आके गांवों की गलियारों में, खेतों में। फिर मिट्टी में सुनहरे फसल लहराए, फिर थका हारा वो #किसान मुस्कुराए। https://t.co/SeOJKSqxET

Date

2020-08-09

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Identifier

1292488481122340872